बुन देती मेरा भी कोई एक ऊन का चोला लिख देती सीने पे उसके लव यू का एक गोला। बुन देती मेरा भी कोई एक ऊन का चोला लिख देती सीने पे उसके लव यू का एक गो...
वापसी पर वापसी पर
राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता राष्ट्रभाषा हिन्दी पर कविता
अलाव की आग भी बुझी-बुझीसी रहती है... अलाव की आग भी बुझी-बुझीसी रहती है...
बरबस इश्क़ पे उम्र का तक़ाज़ा नही 'हम्द', बेशक़ आफ़ताबी है इसका रोमांच। बरबस इश्क़ पे उम्र का तक़ाज़ा नही 'हम्द', बेशक़ आफ़ताबी है इसका रोमांच।
ठंडी से थी तबीयत नासाज फिर भी आइसक्रीम खाई आज। ठंडी से थी तबीयत नासाज फिर भी आइसक्रीम खाई आज।